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इससे पहले कि हम आरम्भ करें...

बाइबिल का अन्वेषण करना एक रोमांचकारी एवम् आनन्दमय कार्य है। इस पाठयक्रम में दिये गये अध्‍याय बाइबिल अध्ययन की ओर जाने वाले मार्ग के सूचक हैं। इस पाठयक्रम में, बाइबिल की महत्‍वपूर्ण शिक्षाओं पर आधारित, 22 पाठ है। [पूरी २२ अध्याय की सूची के लिए यहां क्लिक करें]

यदि आप इस पाठयक्रम से लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके पास अपनी बाइबिल का होना ही आवश्यक नही है वरन उसको पढ़ना भी अति आवश्यक है। बाइबिल को बिना पढ़े आप इस पाठयक्रम से मिलने वाले लाभ से वंचित रह सकते हैं। शायद आपके पास अपनी बाइबिल हो परन्तु यदि आपके पास नही है तो जल्दी से जल्दी एक बाइबिल ले लीजिये।

प्रायः हर प्रदेश में बाइबिल सोसायटी की एक दुकान है जहां से आप बहुत सस्ते में बाइबिल खरीद सकते हैं। बाइबिल खरीदते समय इस बात का ध्‍यान रखे कि यह एक सम्‍पूर्ण बाइबिल हो। नया नियम सम्‍पूर्ण बाइबिल नही है बल्कि यह बाइबिल का केवल एक भाग है। आपको सम्पूर्ण बाइबिल की आवश्यकता है।

इस पाठयक्रम के प्रत्‍येक अध्‍याय में बाइबिल के दो भागों का अध्‍ययन है, पहला भाग "साप्‍ताहिक पाठ" शिर्षक के अन्‍तर्गत है जिसमें बाइबिल के 6 या 7 पाठ है जिन्‍हें आपको एक सप्‍ताह में पढना है। दूसरा भाग "प्रश्‍नोत्‍तर के लिए पाठ" शिर्षक के अन्‍तर्गत है जिसमें आपको प्रश्‍नो के उत्‍तर देने से पहले बाइबिल के एक या दो अध्‍यायों को पढना है जिनसे आपको सही उत्‍तर देने में सहायता मिलेगी।

एक अध्‍याय को कम से कम तीन बार पढें। पहली बार जल्‍दी से उसको पढे़ जिससे यह पता चल जाये कि यह किस विषय में है। दूसरी बार प्रत्‍येक भाग को शुरू से ध्‍यानपूर्वक पढें। तीसरी बार अपनी बाइबिल के साथ इसे पढें और जो भी बाइबिल के संदर्भ दिये गये है उन्‍हें बाइबिल से खोलकर पढें। जो बात थोडी समझने में कठिन लग रही हो या जिस बात से आप सहमत न हो उसका एक विशेष नोट तैयार करें। ज्रैसे जैसे आप आगे अध्‍ययन करते है तो बहुत सी बातें साफ रीति से समझ में आने लगती है।

हर व्यक्ति का पढने का अपना तरीका है। हमारी केवल यह विनती है कि इसके पहले आगे के पाठ का अध्ययन करें उससे पहले के पाठ को भली भांति समझ लीजिये।

समय का सदउपयोग

अवश्य ही इन पाठों के अध्ययन में आपका कुछ समय लगेगा-प्रति दिन लगभग 15 मिनट बाइबिल पढ़ने में और प्रति सप्ताह में लगभग एक घंटा पाठ के अध्ययन में। परन्तु बहुत ही जल्दी आप महसूस करेंगे कि बाइबिल एक ऐसी रुचिपूर्ण पुस्तक है, कि उसे पढ़ने के लिए आप और ज्यादा समय व्यतीत करना चाहेंगे।

बाइबिल पढ़ना

बाइबिल केवल रुचिकर ही नही है बल्कि यह परमेश्‍वर का वचन है। इसलिए इसे हमें प्रार्थनापूर्वक पढ़ना चाहिये और ईश्‍वर से प्रार्थना करनी चाहिये कि वह इसकी शिक्षाओं को समझने में हमारी सहायता करें।

बाइबिल में एक प्रार्थना है जिसे हमें याद रखना चाहिये: ‘मेरा आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूँ।’ (भजन संहिता 119 पद 18)

और इसलिए बाइबिल को प्रतिदिन पढ़ने से और इसे समझने का प्रयास करने से, हमें न केवल निश्चय हो जायेगा कि यह परमेश्वर का वचन है, वरन हम अपने जीवन पर भी इसका प्रभाव महसूस करेंगे — हमारे जीवनों में परिवर्तन लाते हुए और हमें पहले से अच्छे पुरुष और स्त्रियां बनाते हुए।

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१- जीने  की एक नहीं राह 
२- उनसे कहो येशु उन्हें प्यार करता है 
३- क्यों परमेश्वर क्यों 

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